वैदिक ज्योतिष में कुल “27 नक्षत्र“ है जिनमें से एक है “आश्लेषा नक्षत्र“(Ashlesha Nakshatra)। यह आकाश मंडल तथा 27 नक्षत्रों Sí «नवम स्थान” पर है। इस नक्षत्र का विस्तार राशि चक्र 2 106।40 Sí 120।00 अंश तक है। आश्लेषा नक्षत्र में 6 Sí होते है। “आश्लेषा«Y»सर्पमूल” भी कहा जाता है। आज हम आपको आश्लेषा नक्षत्र में जन्में लोग तथा प ुरुष और स्त्री जातक की कुछ मुख्य विशेषताएं बतल ा येंगे, पर सबसे पहले जानते है, आश्लेषा नक्षत्र स जरुरी बातें:
आश्लेषा नक्षत्र की आकृति पहिये के समान होती है । आश्लेषा का शाब्दिक अर्थ है “आलिंगन”। “आश्लेषा” “चंद्र देव” की 27 años ा ये प्रजापति दक्ष की प ुत्री है।
- नक्षत्र – “आश्लेषा”
- आश्लेषा नक्षत्र देवता – “सर्प”
- आश्लेषा नक्षत्र स्वामी – “बुध”
- आश्लेषा राशि स्वामी – “चंद्र”
- आश्लेषा नक्षत्र राशि – “कर्क”
- आश्लेषा नक्षत्र नाड़ी – “अन्त्य”
- आश्लेषा नक्षत्र योनि – “मार्जार”
- आश्लेषा नक्षत्र वश्य – “जलचर”
- आश्लेषा नक्षत्र स्वभाव – “तीक्ष्ण”
- आश्लेषा नक्षत्र महावैर – “मूषक”
- आश्लेषा नक्षत्र गण – “राक्षस”
- आश्लेषा नक्षत्र तत्व – “जल”
- आश्लेषा नक्षत्र पंचशला वेध – “धनिष्ठा”
“सर्प”- “आश्लेषा नक्षत्र” के देवता है इसलिए जातक स ांप की तरह भयंकर फुफकारने वाला, गुस्सा तो जैसे इ नकी नाक पर रखा होता है। ये हर बात में उत्तेजित हो जाते है। ये पापाचरण में आगे और चकमा देने में माहिर होते है। इनकी आंखें छोटी पर क्रूर, खतरनाक और सख्त आचरण इ नकी पहचान होती है। – पराशर
आश्लेषा नक्षत्र का वेदमंत्र:
।। ॐ नमोSस्तु सर्पेभ्योये के च पृथ्विमनु:।
ये अन्तरिक्षे यो देवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम: ।
ॐ सर्पेभ्यो नम:।।
आश्लेषा नक्षत्र में चार चरणें होती है। Mi nombre es:
1. आश्लेषा नक्षत्र está disponible: “बृहस्पति देव” है तथा इस चरण पर Sí, Sí No चन्द्रमा का प्रभाव ज्यादा रहता है। इस चरण के जातक साथियों और वरिष्ठों से प्रतिस्प र्धा करने वाले होते है। इस चरण के जातक लम्बे कद, स्थूल देह, सुन्दर नैन-नख ्स, लम्बे दांत तथा गोरे रंग के होते है। अपने लक्ष्य को प्राप् त करने के लिए कठिन मेहनत करते है। ये कला के क्षेत्र में माहिर होते है ।
2. आश्लेषा नक्षत्र द्वितीय: ''No es verdad» इस चरण पर Sí, Sí Sí शनि ग्रह का प्रभाव होता है। ये सौदे, ठगबाजी में माहिर होते है। इस चरण के जातक का गौर वर्ण, छितरे अल्प रोम, बड़े आकार का सिर और जांघ होता है। आश्लेषा नक्षत्र के नकारात्मक लक्षण इसी चरण मे ं ज्यादा देखने को मिलते है। इस चरण में जातक दूसरों को हतोत्साहित करने वाला एक अविश्वसनीय व्यक्ति होता है। इस चरण के जातकों का या तो खुद का मकान नहीं होता य ा फिर किराए के मकान में जीवन व्यतीत करते है ।
3. आश्लेषा नक्षत्र está disponible: इस चरण के स्वामी “शनि ग्रह» इस चरण पर Sí, No Sí Sí का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक किसी रहस्य को छुपाए रखने या योजन ा बनाने में माहिर होते है। Hay mucha, mucha gente, mucha, mucha और सावले रंग का होता है। तीसरे चरण के जातक भरोसेमंद होते है। इन्हें चर्म रोग की शिकायत होती है।
4. आश्लेषा नक्षत्र por: इस चरण के स्वामी “गुरु ग्रह» इस चरण पर Sí, Sí Sí Sí का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक गोरे रंग, मछली के सामान आँखे, लम्ब ी दाढ़ी, पतले घुटने तथा पतले होंठ वाले होते है। ये बुद्धिमान और भ्रमणशील भी होते है। इस चरण के जातक जीवन में संघर्ष अधिक करते है। ये दूसरों को शिकार बनाने के जगह खुद ही शिकार बन जाते है। यदि अश्लेषा नक्षत्र बुरे प्रभाव में हो तो क ्ति को गंभीर मनोरोग हो जाता है।
आइये जानते है, Información adicional:
आश्लेषा नक्षत्र está disponible:
इस लग्न के जातक वाचाल, किसी का एहसान न मानने वाल ा, दिखावटी ईमानदार, संगठन वादी, मनमोहक भाषी, चरित प्राप्त करने वाला होता है। इस नक्षत्र में कुछ ऐसे भी जातक होते है जो कमजोर दिल के, कायर, मृदुभाषी और घमंडी होते है। ये किसी पर भी विश्वास नहीं करते जबकि ये खुद काल ाबाजारी या चोरों का साथी होते है। ये अच्छा बुरा या अमीर गरीब में भेद नहीं करते। ये स्वतंत्रता प्रेमी होते है। ये छल-कपट या धोखेबाजी से किसी की संपत्ति नहीं ह ड़पते। ये शांत और सौभाग्यशाली होते है। जातक अपने परिवार में बड़ा होता है और कला या वाण िजय के क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करता है। इनकी पत्नी इन्हें नहीं समझती और संपत्ति को परि वार में बाटना नहीं चाहती। Hace 35 días Hace 36 días Más de 40 minutos नक ही आर्थिक लाभ होता है।
आश्लेषा नक्षत्र के स्त्री:
इस नक्षत्र की स्त्रियों में भी पुरुष जातकों के तरह ही गुण और अवगुण होते है। आश्लेषा नक्षत्र में यदि मंगल स्थित हो तो स्त्र ी सुंदर होती है। इस नक्षत्र की स्त्रियां अपने ही नियंत्रण में र हती है। ये चरित्रवान, शर्मीली, मान – सम्मान पाने वाली और अपने बातों से शत्रुओं को हराने वाली होती है। ये हर कार्य में दक्ष होती है। शिक्षित होने पर प्रशासनिक कार्य और अशिक्षित ह ोने पर मछली पालन से जुड़ी होती है। ये कार्य में दक्ष होती है। इन्हें अपने ससुराल वालों से सावधान रहना चाहिए क्योंकि वे पति के साथ सम्बन्ध विच्छेद आ ं लगे रहते है।